बालश्रम मुक्ति क्रान्ति
बालश्रम मुक्ति क्रान्ति, बाल मज़दूरी एक अनसुलझी समस्या है जो मानवता के नाम पर एक कलंक के समान है । संयुक्त राष्ट्र अन्तर्राष्ट्रीय बाल संकट कोष (यूनीसेफ) द्वारा 2005 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में 24.6 करोड़ बच्चे किसी न किसी प्रकार के श्रम करने को मजबूर हैं । इनमें से यदि वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो पाकिस्तान में बनने वाली कालीनों के 80 प्रतिशत मज़दूर 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे ही हैं । इण्डोनेशिया में तम्बाकू बीनते हैं, तो बंग्लादेश में बड़े पैमाने पर बच्चे टी-शर्ट बनाना तो दक्षिण अफ्रीका में तो हज़ारों बच्चे घरेलू नौकरों के रुप में काम करते हैं । दूसरे देशों के विषय में बताने का यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि भारत इस समस्या से अछूता है बल्कि हमारे देश में भी यह समस्या अत्यन्त गंभीर होती जा रही है । राष्ट्रीय श्रम संस्थान के ताज़ा आंकड़ो के मुताबिक़ भारत में लगभग 2 करोड़ 26 लाख बच्चे पूर्णकालिक श्रमिक के रुप में तथा एक करोड़ 85 लाख बच्चे अंशकालिक श्रमिक के रुप में कार्यरत हैं । यह सभी जानते हैं कि बच्चे ग़रीबी के कारण नौकरी करते हैं क्योंकि उनकी कमाई के बिना उनके परिवारों का जीवन स्तर बदतर हो जाता है बालश्रम के सम्बन्ध में पूँजीवादियों का यह तर्क है कि नौकरी बच्चों को भूखा मरने से रोकती है वहीं अधिकारीगण का कहना है कि सरकार उन्हें पर्याप्त वैकल्पिक नौकरियाँ नही दे पा रही है । समाज व वैज्ञानिकों का भी यही कहना है कि बालश्रम का मुख्य कारण निर्धनता है ।
बच्चों को अक्सर होटल, ढाबा, फैक्ट्रियों, दुकानों पर, वर्कशॉप, हॉकर, कचरा चुनना, घर में नौकर आदि असंगठित क्षेत्र में कार्य करते देखा जाता है और यदि संगठित क्षेत्र की बात करें तो दियासलाई बनाना, आतिशबाज़ी, कालीन बनाई, हथकरंधा, चमड़ा, काँच, भवन निर्माण, रत्न उद्योग तथा ताला उद्योगों में कार्य करते देखे जाते हैं ।
बहुत ही डरा देने वाले आंकड़े हैं उन लोगों के जो भुखमरी व कुपोषण के कारण अपनी जान गवाँ देते हैं और उससे उलट इस बात के आंकड़े भी भयावह है कि देश में प्रतिदिन देश की जनसँख्या की आवश्यकता से तीन गुना भोजन बनता है और उसमें से 2 गुणे से भी अधिक मात्रा में भोजन बर्बाद कर दिया जाता है । सर्वोदय ने अब बर्बाद होते खाने को बचाने के लिए एक क्रान्तिकारी विचार सोचा है जिससे इस अनसुलझी समस्या को सुलझाया जा सकता है । मानवता के नाम पर मुँह पर लगने वाली इस कंलक रुप कालिख को मिटाया जा सकता है या उसे धोया जा सकता है बस आवश्यकता है एक सार्थक प्रयास की और वो प्रयास मैनें किया है यह कितना सार्थक होगा ये सब आप पर निर्भर है|
सम्पूर्ण स्वराज्य से मेरा अभिप्राय है लोक-सम्मति के अनुसार होने वाला भारत वर्ष का शासन । ब्रिटेन की लोकसभा, रूस के सोवियत शासन ये सारी शासन पद्धत्तियाँ या प्रणालियाँ उनके अपने देश के अनुरूप हैं । हमारी शासन पद्धत्ति भी हमारी प्रजा की प्रकृति के अनुरूप होनी चाहिए राम राज्य का अर्थ..... शुद्ध नैतिक सत्ता के आधार पर स्थापित जनता की सर्वभौम सत्ता । स्वराज्य निर्भर करता है हमारी आंतरिक शक्ति पर, बड़ी से बड़ी कठिनाइयों से जूझने की हमारी ताक़त पर, अहिंसा पर आधारित स्वराज्य में कोई किसी का शत्रु नहीं होता । सारी जनता की भलाई का सामान्य उद्देश्य सिद्ध करने में हर एक अपना अभीष्ट योग देता है । बीमारी और रोग कम से कम हो जाए ऐसी व्यवस्था की जाती है