सामाजिक सद्भाव क्रान्ति
सम्पूर्ण स्वराज्य क्रान्ति में 21 क्रान्तियों के साथ सामाजिक सद्भाव क्रान्ति के रूप में तेहरवीं क्रान्ति का जिक्र किया गया है जिसको बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है और आई.एस. के आतंक का सामाजिक सद्भाव क्रान्ति के साथ किस प्रकार का सम्बन्ध है इस पर विचारें... ।
सामाजिक सद्भाव समाज की रीढ़ है आप और आपका देश (हम और हमारा देश) चाहे कितनी ही उन्नति क्यों ना कर लें, लेकिन यदि आपका अपने पड़ोसियों से अच्छे सम्बन्ध नहीं हैं या आपके देश में सामाजिक सामंजस नहीं है । आपस में मेल- जोल नहीं है । आपकी या आपके पड़ोसी की आपके दूसरे पड़ोसियों से हमेशा लड़ाई- झगड़ा, गाली-गलोच, गाली-गुप्तार होती रहती है तो निश्चित ही आपका जीना भी हराम रहता है चाहें-ना-चाहें उन लोगों के मुँह से निकलने वाली भद्दी-भद्दी गालियाँ जो वे लोग प्रवचन की तरह धारा-प्रवाह देते है वो आपके कानों में पड़कर ज़हर घोलते हैं । खैर सामाजिक सद्भाव बिगड़ता कैसे है ? क्यों है ? यह हमारा विषय नहीं है बल्कि हमारा विषय है सद्भाव को बनाना कैसे है ? या बनाया कैसे जाए ? आज के दौर में आई.एस.आई., तालिबान, हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे कितने ही आतंकवादी संगठन है जिन्होंने सामाजिक सद्भाव की ईमारत की चूलें हिला रखी हैं । पाकिस्तान के साथ होने वाले मैच में पाकिस्तान की जीत के बाद मनाई जाने वाली खुशी के बाद हमारा सामाजिक सद्भाव का ढांचा डगमगाने लगता । मुंबई, मुज्जफ्फर नगर तथा दादरी की घटनाओं के बाद लगता है कि हमारा यह ढांचा अभी भरभराकर गिर जायेगा, ढह जायेगा । मैं यहाँ अनेकता में एकता की बात नहीं कर रहा हूँ क्योंकि यहाँ अनेकता का कोई कान्सेप्ट ही नहीं है । जो है सब एक है । जब सब एक होकर कार्य करेंगें तभी इस कार्य के सफल होने की गारन्टी है । यदि हम अनेक हो जायेंगें तो इस सम्पूर्ण स्वराज्य की आत्मा ही मर जायेगी । सम्पूर्ण स्वराज्य एक ईश्वर पर आधारित है और वो सर्वशक्तिमान है । सम्पूर्ण स्वराज्य को अपनाने में पहली शर्त यही है कि आप अपने देश व मानवता के लिये कार्य करेंगें । आप अपने धर्म को घर परिवार व अपने मन्दिर, मस्जिद, चर्च और गुरूद्वारे तक ही सीमित रखेंगें । आप आरक्षण मांगेगें नहीं, बल्कि अपने साथ-साथ समाज व देश के लिये भी व्यवस्थाएं पैदा करेंगें । चोरी, डकैती, गुण्डागर्दी, आंतकवाद, भ्रष्टाचार, नशाखोरी, कामचोरी, प्रदूषण, गन्दगी, किसी का अपमान करने के लिये सम्पूर्ण स्वराज्य में कोई स्थान नहीं है और ये सब आप किसी कानून से डरकर नहीं बल्कि स्वेच्छा से करना पसन्द करेंगे । सम्पूर्ण स्वराज्य का उद्देश्य तभी सफल होगा जब आप अपने लिए किसी भी प्रकार के भरण, भण्डारण की आवश्यकता महसूस नहीं करेंगे बल्कि यह विश्वास रखेंगे कि जब भी आपको आवश्यकता पड़ेगी सर्वोदय (मौहल्ला समिति) आपके लिये उन ज़रूरतों के साथ खड़ी होगी जिनकी आपको आवश्यकता है । शुरू में यह विश्वास करना मुश्किल ज़रूरी होगा परन्तु धीरे धीरे जैसे जैसे सर्वोदय (मौहल्ला समिति) अपने कार्यों को ज़िम्मेदारी के साथ करती जायेगी लोगों का विश्वास सर्वोदय (मौहल्ला समिति) पर बढ़ता जाऐगा । जो सम्पूर्ण स्वराज्य के लिये कैलाश पण्डित का मत है, सिद्धांत है ।