सजगता क्रान्ति
सजगता (अवेयरनेस) यह एक ऐसा चमत्कारी शब्द है कि जो इसे तहे दिल से अपना लेता है यह उसकी ज़िन्दगी बदल देता है । यह एक सहायक कर्म है जो भी कार्य आप करते हैं सजगता उसे पूर्ण कराने में सहयोग देता है आपके द्वारा बरती गई थोड़ी सी भी असावधानी आपके कार्य का बेड़ा गर्क कर सकती है । वही सजगता के साथ किया गया कार्य उत्तम होता है और अधिक फलदायक भी होता है । एक सजग व्यक्ति ना केवल अपने कार्यों को ही सफल बनाता है बल्कि दूसरे के बिगड़े कार्यों को या बर्बाद हो रही चीज़ों को भी बचाकर देशहित का कार्य करता है ।
बच्चों को कुछ भी सिखाना सबसे सरल होता है । यदि छोटी उम्र से ही बच्चों को घर व बाहर टपकते नल को बन्दकरने के लिए, फालतू जल रहे बिजली के बल्ब को बन्दकरने, घर में या सडकों, पार्कों में कूड़ा व कचरा ना डालने के लिए, यातायात के नियमों के लिए अवेयर कर दिया जाये तो वे बड़ी आसानी से सीख लेंगें और समाज व देश का बहुत बड़ा भला वे कर पाएगें जबकि इसके लिए अगर आप कर्मचारियों को प्रयोग में लाएगें तो वह सरकार व समाज पर धन का भारी बोझ होंगें । इसका असर हमें आमिर खान के सीरियल सत्यमेव जयते के पश्चात देखने को मिला था या मोदी जी के स्वच्छता अभियान के आरम्भ में जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने बच्चों से अपील की थी तो बच्चों में इसका उत्साह देखने को मिला था ।
सर्वोदय (मौहल्ला समिति) द्वारा, सर्वोदय मौहल्ला चौपाल के द्वारा, संगीतमय कहानियों की प्रस्तुति से, बच्चों में खेलकूद, शिक्षा, देशभक्ति, बर्बाद होती हुई किसी भी वस्तु को बर्बाद होने से कैसे बचाएँ ? इन सब पर विशेष ध्यान रहेगा । चीज़ों को बर्बाद होने से बचाने में कई लाभ होंगें- धन जो उस चीज़ को बनाने में लगा है उसे बचाया जा सकेगा दूसरे उसमें लगने वाली शक्ति जो बर्बाद होने पर दोबारा लगानी होगी, उसको बचाया जा सकेगा और बहुत सी वस्तुएँ ऐसी होती हैं कि जिन्हें एक बार खोने के बाद तुरन्त बनाना सम्भव नहीं होता अतः समय की भी बचत होगी और देश तेजी से आगे बढ़ेगा ।
उपरोक्त ऐसी समस्याएँ हैं जो आने वाले समय में विकराल रूप धारण कर सकती हैं अत: इन्हें सुधारने के लिए इन पर अभी से कार्य करना अनिवार्य होगा | इसके अतिरिक्त.......
- घर में या सड़क किनारे टपकते हुए पानी के नलों को देखकर आपका बच्चा उसे बंद करने का प्रयास करें या कराये |
- घर पर व्यर्थ जल रही बिजली के बल्ब को बंद करें | घर के बाहर या स्ट्रीट लाईट की ओर भी उसका ध्यान जाये और उसे बंद कराने का प्रयास करे तथा रात में बंद पड़ी स्ट्रीट लाईट को ओंन (खुलवाने) का प्रयास करे |
- सजगता जहाँ आपके लिए आपके परिवार केलिए अति लाभदायक होती है वहीँ देश केलिए तो ये रामबाण का काम कर सकती है | सजगता (अवेयरनेस) का क्षेत्र (एरिया) छोटा नहीं होता बल्कि बहुत ही बड़ा है | अति विशालकाय क्षेत्र है सजगता का | हम सजगता बरत कर देश व् समाज को किन खतरों से बचा सकते हैं |
- छोटे (गोदी वाले) बच्चों का ध्यान रखना जिस प्रकार बहुत ज़रूरी होता है वैसे ही यदि बच्चों में पनपते असामान्य व्यवहार पर ध्यान देकर उन्हें सही राह दिखाई जाये तो वे बच्चे भविष्य में असामाजिक तत्व ना बनकर राष्ट्र की प्रगति में कंधे से कन्धा मिलाकर देश को आगे पदाने में सहायक सिद्ध होंगे | विषय है की मौहल्ला समिति के द्वारा किन-किन चीज़ों व विषयों पर सजग (अवेयर) किया जा सकता है या सजग किया जाना चाहिए |
- सबसे आवश्यक तो राष्ट्र से सम्बंधित बातों से सजगता ज़रूरी है | १- संस्कारों के प्रति सजगता |
२- कानून- संविधान के प्रति सजगता |
३- सरकारी योजनाओं के प्रति सजगता |
४- ट्रैफिक नियमों के प्रति सजगता |
५- नगर पालिका के कार्यों के प्रति सजगता |
६- बिजली विभाग- टेलीफोन विभाग |
७- प्रदुषण –ग्लोबल वार्मिंग के प्रति |
८- मिलावट के प्रति |
९- असामाजिक तत्वों के प्रति सजगता |
१०- घरेलु हिंसा दहेज़ या बच्चों के प्रति होने वाले दुर्व्यवहार के प्रति |
११- रोज़गार से सम्बंधित सजगता |
१२- जनसँख्या वृद्धि से होने वाले फ़ायदे व नुकसान की जानकारी आनेवाले बच्चों को अवश्य होनी चाहिए |
- बच्चों में आये परिवर्तन को बहुत जल्दी पहचाना जा सकता है बनस्पत बड़ों के व्यवहार को पहचानने से | क्योंकि बड़ों के व्यव्हार में परिवर्तन के कई कारण हो सकतें हैं जैसे परिवार, कलह, नौकरी या व्यापार में कमजोरी या नुकसान या अन्य शारीरिक परेशानियाँ भी इसका कारन हो सकती हैं | जबकि बच्चों के व्यवहार में आया परिवर्तन यदि पारिवारिक या पैसों के प्रति इच्छा पूर्ती का परिवर्तन क्षणिक होता है | अत: किछ ही समय में बच्चे इन समस्याओं से उबरकर सामान्य हो जाते है यदि नहीं होते तो या तो उनके साथ कुछ असामान्य हो रहा है या उन्होंने कुछ असामान्य किया है | इन ही परिस्थितियों में मौहल्ला समिति अपनी विशेष दोनों भूमिका निभाकर किसी बड़ी अनहोनी को होने से टाल सकती है |
- थाने से सम्पर्क करना आना चाहिए :- पुलिसचौकी हो, थाना हो, ट्रेफ़िक पुलिस हो या मिलिट्री ये सभी आमजनता की सुरक्षा के लिए हैं उन्हें डराने धमकाने के लिए नहीं हैं जबकि समाज का 80% से 90% हिस्सा इन सभी से डरता है | समाज के प्रति पुलिस की इस प्रवृति इस नेचर से निजात पानी होगी |
पुलिस और समाज के बीच इस बढ़ती खाई को पाटने के लिए मौहल्ला समिति को साल में एक से दो बार बच्चों को लेकर थाना जाना चाहिए साथ ही साल में दो से चार बार पुलिस अधिकारियों को अपने किसी कार्यक्रम में बुलाना चाहिए |
- मौहल्ला समिति द्वारा सरकारी नियम-कानूनों पर सख्ती से पालन कराना ज़रूरी है क्योंकि छोटी उम्र में ही संस्कार, नियम व कानूनों को बड़ी आसानी से बनाया व सिखाया जा सकता है बनस्पत बड़े होने के बाद सिखाने के |
- ट्रैफिक नियमों के प्रति सजगता :- १- कब ? कहाँ ? किन परिस्थितियों में बच्चों- बड़ों को किस हाथ पर चलना चाहिए |
२- कब साईकिल, स्कूटी, बाईक व फोर व्हीलर चलाना शुरू करना चाहिए |
३- शहर के अन्दर किसी के साथ कोई छोटा हादसा होने पर उन्हें क्या करना चाहिए |
४- हाइवे पर हादसा होने पर वे क्या कर सकते है |
- लाईट व टेलीफोन डिपार्टमेंट से संपर्क |
- सरकारी योजनाओ पर किस प्रकार ध्यान दिया जाना चाहिए और उनमे अनियमित्तता पाई जाने पर क्या करें |
- बच्चा- बच्चा सूचना के अधिकार से जुड़ा होना चाहिए |
- मौहल्ले में तथा अपने सामने होने वाले हादसे से कन्नी ना काटें बल्कि उसपर आवाज़ उठाये |