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समानता का अधिकार क्रान्ति

समानता का अधिकार बोल देने में या लिख देने में जितना आसान है प्रयोग करने में ठीक इससे उलट है अर्थात बहुत ही मुश्किल या ये कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी की नामुमकिन है । समाजवाद का राग अलापने वाले नेता हों या समाजवाद की बात करने वाली पार्टियाँ ये सब बोलने भर लिए या दिखावे के लिए समानता के अधिकार की बातें करती हैं । परन्तु जैसे ही समानता के अधिकार के पालन की बात आती है तो केवल और केवल बातें ही रह जाती है । दुनियाँ के 5 प्रतिशत अति-अति धनवान लोग दुनियाँ के अन्य 95 प्रतिशत ग़रीबी व मुफ़लिसी में जीवन जीने के लिए मजबूर लोगों पर भारी पड़ जातें हैं और ये 5 प्रतिशत लोग धीरे-धीरे अमीर से और अमीर होते जा रहे हैं तथा ये 95 प्रतिशत ग़रीब लोग और भी ग़रीबी की दलदल में फसतें जा रहें हैं । दोस्तों समस्या यह है की कोई भी नहीं चाहता की देश व दुनियाँ के लोगों में समानता आये बल्कि अनगिनत लोगों को तो यह भी नहीं पता की समानता होती क्या है ? या समानता का अधिकार मिल जाने से देश व समाज में क्या बदलाव आ जायेगा ? देश की लगभग 35 प्रतिशत जनता या अति ग़रीब लोग जिन स्थितियों में अपना जीवन व्यापन कर रहे हैं वे बेचारे तो यह तक नहीं जानते की समानता का अधिकार आ जाने पर हो क्या जायेगा ? जिनके लिए बैंक लोन उस राक्षस की भाँति है जिससे मृत्यु उपरांत ही पिण्ड छूट सकता है । दोस्तों मैंने एक छोटा सा प्रयास किया है समानता का अधिकार क्रान्ति के रूप में,  मैं उम्मीद करता हूँ की मेरे द्वारा सुझाये गए तरीक़ों पर चलकर देश तथा समाज में समानता का अधिकार लाया जा सकता है । दोस्तों मेरे द्वारा सुझाई गई 22 क्रांतियों में से समानता का अधिकार क्रान्ति सबसे मुश्किल तथा असंभव जान पड़ती है । परन्तु मेरा विश्वास और गुरु जी महाराज का आशीर्वाद मुझे प्रेरणा दे रहा है और रास्ते सुझा रहा है जिसके कारण मेरा मानना है की यदि प्रयास किया जायेगा तो सफलता अवश्य मिलेगी । दोस्तों मेरा प्रयास है गुरु जी द्वारा सुझाये गए तरीक़ों को आप सभी तक पहुँचाना है और यदि आप सभी मिलकर मेरे इस तुच्छ प्रयास को सहारा देंगे तो यह अवश्य ही सफल होगा ऐसा मेरा विश्वास है दोस्तों ।