भोजन संचय व अनउपयोगी वस्तु एकत्रीकरण क्रान्ति
भारतीय संस्कृति में अन्न दान की बड़ी महत्वता है । तीज त्यौहार हो या अपने घर के 16 संस्कारों में से कोई संस्कार । धन के साथ साथ भोजन व अन्न दान की परम्परा है । आजकल तो भण्डारों का बड़ा चलन है । चन्द्रग्रहण व सूर्यग्रहण के समय अन्नदान की विशेष महत्वता है । आज के समय में जब प्रत्येक वस्तु को रिसाईकिल करके प्रयोग में लाया जा सकता है तब कोई भी वस्तु अनपयोगी नही हो सकती । परन्तु एक बात अवश्य है कि जिस किसी वस्तु की उपयोगिता आपके लिए समाप्त हो गई है तो वह वस्तु आपके लिए व्यर्थ हो जाती है । जैसे कि आपके बच्चे जब किसी कक्षा को उत्तारीण [पास] कर लेते हैं तो आपके लिए उनकी किताबें व नोट्स बेकार हो जाते हैं । आपके बच्चों खेलने के खिलौने, वे कपड़े जो आप व आपके बच्चे पहन चुकें हैं, स्टिप में बची हुई गोलियाँ, दवाईयां, पेपर, पर्दे, फर्नीचर व सभी चीजें जो आपने अच्छे से प्रयोग कर ली हैं । वे आपके लिए अनउपयोगी हो सकती हैं परन्तु वे किसी अन्य के लिए बहुत उपयोगी हो सकती हैं । ये बर्बाद होने वाली वस्तुएँ इधर उधर गिरकर गन्दगी फैलाती है, स्थान घिरता है और घर में नेस्ती आती है । सर्वोदय उन्हें एकत्र करके ज़रूरतमंद लोगों तक पहुँचाने का कार्य करेगी और खुशहाली लाएगी ।