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प्रदूषण मुक्त समाज क्रान्ति

प्रदूषण को अक्सर हम बस एक ही प्रकार का मानकर संतुष्ट हो जाते हैं और वो प्रदूषण है गाड़ियों से निकलने वाला प्रदूषण । जबकि यह वायु प्रदुषण का केवल एक प्रकार का प्रदूषण मात्र है प्रदूषण के कई प्रकार हैं

 1-वायु प्रदूषण । 

2- ध्वनि प्रदूषण ( मोटर वाहन, मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, अन्य धार्मिक स्थलों के माइक के द्वारा, पटाखों से, राजनितिक पार्टियों की  रैली के द्वारा,  इलैक्शन के प्रचार द्वारा । ) 

 3- जल प्रदूषण । 

 4- भोजन प्रदूषण । 

 5- रोज़मर्रा का कचरा |

 

 6- ग्लोबल वार्मिंग क्रान्ति । 

1-वायु प्रदुषण के ही कई प्रकार होते हैं । 

अ- वाहनों से निकलने वाला धुंआ । 

ब- कल कारखानों की चिमनियों से निकलने वाला धुंआ । 

स- फास्ट फूड ठेलों, घर, होटल, रेस्टोरेंट की रसोइयों से निकालने वाला    धुंआ । 

द- घरों, दुकानों, फैक्ट्रियों से निकलने वाले कूड़े–कचरे को जलाने से निकलने वाला धुंआ । 

च-धुम्रपान करने से होने वाला धुंआ । 

प्रदूषण चाहे वह घर का हो या घर के बाहर सड़क का | सेहत के लिए हमेशा नुकसान दायक ही होता है । रात को अपनी दुकान का कचरा सड़क पर गिरा कर जला देना सड़क पर चलने वालों के लिए साँस लेने में तकलीफ़ ही पहुंचता है । नगर पालिका द्वारा घरों तथा दुकानों से इक्कट्ठा किया गया कचरा जहाँ डाला जाता है सफाई कर्मचारी उसमें आग लगा देते है जिससे होने वाला प्रदूषण आस-पास रहने वाले लोगों के लिए ना केवल बीमारी का सबब बनता है बल्कि पर्यावरण को दूषित करता है । बारातों तथा तीज - त्यौहार के समय पटाखों के द्वारा होने वाला वायू प्रदूषण । इन सभी को नियन्त्रण की अवश्यकता है तभी पर्यावरण को व मानव जीवन को बचाया जा सकता है शुद्ध वायु मानव जीवन के लिये अति आवश्यक हैं । 

2- ध्वनि प्रदूषण - मोटर वाहन,  मन्दिर,  मस्जिद,  गुरुद्वारा,  अन्य धार्मिक स्थलों के माइक के द्वारा, पटाखों से, राजनितिक पार्टियों की  रैली के द्वारा,  इलैक्शन के प्रचार द्वारा ।  

3- जल प्रदूषण – हमें पीने का पानी कई स्थानों से प्राप्त होता है जैसे ग्राम पंचायत की टंकी द्वारा, नगर पालिका व नगर निगम की पानी की पाईपलाइन के द्वारा, तालाब, पोखर में एकत्र किया गए पानी के द्वारा, व सबसे महत्वपूर्ण नदियों के द्वारा तथा नदियों से निकली नहरों के द्वारा | उपरोक्त में से तालाब व पोखर तो लगभग समाप्त प्रायः हो चुके हैं | नदियों की हालत तो आप सभी बहुत अच्छे से जानते हैं | रही बात ग्राम पंचायत की टंकी व नगर पालिका व नगर निगम की पाईप लाइन के द्वारा पानी सप्लाई की तो यही एक मात्र उचित साधन है पीने के पानी की स्पलाई का लेकिन इसमें भी आये दिन टूट-फूट होती रहती है जिससे पाइपलाइन लाइन में लीकेज होते रहते हैं और लोग सीवर लाइन से लीक पानी को पीने के लिए मजबूर होते हैं अब तक की लाइन की मर्रमत्त ना कर दी जाए | 

4- भोजन प्रदूषण – घी, तेल, अनाज में की जाने वाली मिलावट से कौन परिचित नहीं है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है | अनाज की खेती व सब्ज़ियों की खेती के लिए प्रयोग किया जाने वाला यूरिया, सब्ज़ियों को धोने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला गंदे नालों का पानी | दूध में मिलावट मसालों में मिलावट ये सब भोजन के प्रदूषण के मुख्य कारक हैं | 

5- रोज़मर्रा का कचरा – अपने देश में प्रतिदिन लाखों टन कचरा घरों, सड़कों, दुकानों, फैक्ट्रियों व उधोगों से निकलता है | जो सबसे अधिक स्थान घेरता है साथ ही नुकसानदायक भी होता है इसमें खाने से निकलने वाला अपशिष्ट तो जानवरों के खाने के काम भी आ जाता है | परन्तु प्लास्टिक, पिन्नी व कैमिकल फैक्ट्रियों में से निकलने वाला अपशिष्ट सबसे अधिक नुक्सान दायक होता है जीव जन्तुओं के लिए भी तथा पर्यावरण के लिए भी | दिल्ली सहित बड़े-बड़े शहरों में कचरे के बड़े बड़े पहाड़ बन गए हैं | जिनसे निपटना वहां की सरकारों के लिए आफत बनती जा रही |


6- ग्लोबल वार्मिंग क्रान्ति – ग्लोबल वार्मिंग का असर पृथ्वी की ओजोन लेयर पर पड़ता है जिससे कारण उसमे छेद भी हो गया है इसके कारण पर्यावरण पर असर होता है और विश्व में गर्मी का स्तर-साल-दर साल बढ़ता ही जा रहा है | बारिश कही अत्यधिक होनी शुरू हो गई है तो कहीं सूखा पड़ रहा है |