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अतिक्रमण हटाओं क्रान्ति

सर्वप्रथम तो अतिक्रमण होना ही नहीं चाहिए, चाहे वह किसी भी प्रकार का क्यों ना हो । यह तब होना शुरू होता है जब व्यक्ति अपना अधिकार आवश्यकता से अधिक मानने लगता है । उस अवस्था में ही व्यक्ति दूसरों की जिन्दगी हो या अपने अतिरिक्त किसी की भी ज़मीन, घर, आँगन क्यों ना हों वह उस पर अतिक्रमण करना शुरू कर देता है पहले वह दूसरे के अधिकार क्षेत्र की चीजों पर अतिक्रमण करता है और लम्बा समय हो जाने पर उसे अपने अधिकार की वस्तु मानने लगता है या उनकी अगली पीढ़ी तो उस पर अपना होने की मुहर ही लगा देती है । अतिक्रमण होता कैसे है ? ये तो सभी जानते हैं लेकिन इससे छुटकारा कैसे पाया जा सकता है ? यह सर्वोदय समिति द्वारा प्रदत्त सम्पूर्ण स्वराज्य कान्ति के द्वारा आपको देखने को मिलेगा । लोगों ने अतिक्रमण कहाँ - कहाँ नही किया हुआ है अतिक्रमण वनों का, अतिक्रमण नदियों,  नालों का अतिक्रमण,  जोहड़,  पोखरों का अतिक्रमण, सड़कों,  कुओं,  तालाबों का अतिक्रमण,  एल० एम० सी०  की ज़मीनों का अतिक्रमण तो शत्रु पक्ष की ज़मीनों व सरकारी ज़मीनों का अतिक्रमण । अतिक्रमणवादी लोगों ने कुछ भी नही छोड़ा | यहाँ तक की लोगों की ज़िन्दगियों तक को नहीं छोड़ा उनमें भी ज़बरदस्ती घुसकर उनकी ज़िन्दगियों  तक को बरबाद कर दिया | इन सभी से मुक्ती सर्वोदय का लक्ष्य होगा |