जल संरक्षण क्रान्ति
जीव जन्तु हमेशा से अपने जीवन के लिये उपयोगी वस्तुओं का ही संरक्षण करते आए हैं जब मानव सदियों से जीवन उपयोगी वस्तुएँ के साथ या उनकी जगह दिखावटी, सुविधाजनक, लग्जीरियस जीवन के लिए उपयोगी वस्तुओं का संग्रहण करता आया है । जैसे सोना, चाँदी, हीरे- मोती, गाडियाँ, महल अटारी, दिखावे के सामान इत्यादि । पानी की विशेषता यह है कि यह प्रकृति का विलक्षण यौगिक है । मानव जीवन के लिए सबसे उपयोगी तत्व जल के विषय में मानव ने कभी गम्भीरता से नहीं सोचा । कारण यह है कि जल हमें बड़ी आसानी से प्राप्त होता रहा है देखने में पूरे विश्व में पानी ही पानी है । सम्पूर्ण पृथ्वी की सतह का 70.8 प्रतिशत भाग पानी से घिरा है । परन्तु असलियत में पीने योग्य पानी मात्र 2.70 प्रतिशत ही हैं और इस 2.70 प्रतिशत का भी अधिकतर पानी ग्लेशियर में बर्फ के रूप में है जिसे पीने के लिये प्रयोग में लाने के विषय में सोचना भी बारूद के ढेर में आग लगाने जैसा है । अल्बर्ट वॉन जेन्ट ग्योर्गी ने कहा है कि ‘जल जीवन का आधार है’ भारत नदियों का देश है जहाँ स्वर्ग से उतरी, देवाधिदेव महादेव की जटाओं में समाई पवित्र गंगा का वास है । यमुना, नर्मदा, कावेरी व ब्रहमपुत्र जैसे अनेक नदिया यहाँ पौराणिक होने के नाते पूजी जाती हैं परन्तु अब इन नदियों का गन्दगी के कारण हाल बुरा है । जल प्राप्ती का दूसरा साधन है ज़मीन का दोहन कर जल की प्राप्ति । जो इस क़दर बेहिसाब किया गया कि अब ज़मीन में गहरे तक भी जाने पर जल की प्राप्ती सम्भव नहीं हो पाती । ऐसे में जल की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है यदि ऐसा ही चलता रहा तो बहुत जल्दी यह पीने योग्य पानी समाप्त हो जायेगा जिसके बिना मानव का ही नहीं किसी भी जीव का जीवन असम्भव है क्योंकि प्रत्येक जीव की संरचना में लगभग 65 प्रतिशत हिस्सेदारी पानी या उसकी प्रवृत्ति के तत्व की होती है । अब आप समझ गये होंगे कि सबसे आवश्यक कान्ति कौन सी है ? जिस पर तुरन्त कार्य करने की आवश्यकता है