रोज़गार क्रान्ति
आज ना केवल भारत वर्ष में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में नौजवान बेरोजगारों की भरमार है जिन्हें “रोज़गार क्रान्ति” की सख्त आवश्यकता है । मेरा विश्वास है की हमारे इस प्रयास से विश्व को भी इस क्षेत्र में कोई नई राह मिल सकेगी । दोस्तों मेरा मानना है की युवाओ की कई श्रेणी होती है जिन्हें रोज़गार करना होता है ।
- युवाओं का कुछ प्रतिशत ऐसा होता है जो पढ़ाकू होता है और वो पढ़ाई करते-करते ही अपने लिए नौकरी का इंतज़ाम पूरा कर लेता है ।
- युवाओं का कुछ प्रतिशत ऐसा है जो पढ़ाई के बाद नौकरियों के लिए कम्पीटीशन लड़कर अपने लिए नौकरियों की व्यवस्था कर लेता है
- युवाओं का एक वर्ग ऐसा भी है जो अपने परम्परागत पारिवारिक व्यवसाय व कार्यो में हाथ बटाना ही अपना धर्म तथा कर्तव्य समझकर उसी में अपने परिवार का हाथ बटाता है |
- युवाओं का कुछ प्रतिशत इधर-उधर से लोन के रूप में कुछ धन ले देकर अपने हिसाब से छोटी मोटी नौकरियों या ठेला, रहड़ी के काम की व्यवस्था कर ही लेता है ।
- युवाओं का कुछ प्रतिशत जो की अनपढ़ होता है अतः वह दिहाड़ी मज़दूर बनकर समाज के बहुत से कार्यो को अंजाम तक पहुंचाते हैं ।
परन्तु इन सब के बाद भी युवाओं का एक बड़ा प्रतिशत बच जाता है जो उपरोक्त में से कहीं भी, कुछ भी नहीं कर पाता हैं जो पारिवारिक परिस्थितियों के कारण उच्च शिक्षा तो प्राप्त कर लेता है लेकिन ग्रेड, मार्क्स बहुत अच्छे नहीं ला पाता । ना ही उसके बाप - दादा जी कोई बड़े व्यापारी हैं इसलिए वह व्यापार भी नहीं कर सकता, ना ही उसके पास कोई बड़ी सोर्स है जिससे उसे नौकरी मिल जाये । पैसे की तंगी हमेशा परिवार में बनी रहने के कारण किसी भी प्रकार की छोटी-मोटी दूकान के बारे में भी ये सोच नहीं सकतें हैं । ये स्वयं इतनी पढ़ाई करने के पश्चात् ना तो सड़क पर रेहड़ी लगा सकते हैं और ना ही इनके माता - पिता इन्हें उसकी इजाज़त दे पाते हैं बल्कि हर समय इन्हें कोसते अवश्य रहते हैं की पढ़ाई में इतना पैसा फूंक कर भी मूर्ति की तरह घर में बैठा है । जिस प्रकार ज़िन्दगी की लड़ाई में मध्यम वर्ग सबसे ज़्यादा पिसता है उसी तरह नौकरी पाने की जद्दोजहद में युवाओं का यह वर्ग सबसे ज्यादा परेशान रहता है और इसे जैसे कहीं भी राह नहीं मिलती । जिसका प्रतिशत भी उपरोक्त सब से ज़्यादा है । जो ना तो इतना पढ़ा -लिखा है जिससे नौकरी मिल सके और ना ही इतना अनपढ़ गवार की दिहाड़ी मज़दूरी कर सके ऐसे युवाओं के लिए नौकरी या काम की व्यवस्था करना सबसे दुष्कर कार्य है । सर्वे द्वारा की गई गणनाओं के अनुसार देश में ऐसे युवा बेरोज़गारों की तादात 5 से 8 करोड़ के लगभग है और इतनी बड़ी तादात में युवाओं को नौकरी देने के विषय में कोई भी देश, कोई भी सरकार सोच भी नहीं सकती । मैं आगे बताऊंगा की विश्वास के साथ उठाया गया एक छोटा सा क़दम कितना कारगर सिद्ध हो सकता है और देश व दुनियाँ के करोड़ों बेरोज़गारों को एक नई राह दिखा सकता है ।