लघु उद्योग क्रान्ति
सर्वोदय मौहल्ला स्वराज्य में लघुउद्योग लगाने के लिये चार प्रकार की व्यवस्थाओं का प्रयोग हो सकता है इस में से एक है सरकार द्वारा लघुउद्योग, मंझले उद्योग, मुद्रा लोन, स्टैण्डअप, स्टार्टअप योजनाओं के द्वारा दी जाने वाली सहायता राशी व लोन तथा अन्य तीन प्रयोग अचार्य विनोबा भावे जी द्वारा बतायें गये “एकायतन”, “अनेकायतन” व “सर्वायतन” पद्धति पर आधारित होंगे ।
एकायतन : जिसके अनुसार कुछ व्यापार धन्धों में सरकार के साथ मिलकर कोई एक व्यापारिक संस्थान धन की व्यवस्था कर सकता है । अनेकायतन : दूसरे में एक से अधिक लोग (व्यापारी) या व्यापारिक संस्थान (कम्पनी, प्रा०लि० कम्पनी) मिलकर व्यापार उद्योग धन्धो, लघुउद्योग, मंझले व बड़े उद्योग के लिये धन की व्यवस्था कर सकती है तथा तीसरा है |
सर्वायतन : इसके अंतर्गत छोटे छोटे घरेलू उत्पाद के लिये महिला समूह या पुरूष समूह बनाकर उसमें लगने वाले धन की व्यवस्था वे सभी मिलकर करे, जो उस में काम भी कर रहे है | इन तीनों में सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता अलग है दोनों को जोड़कर कार्य आगे बढ़ाया जा सकता है |
इन चारों प्रकार से इक्कटठे होने वाले धन के द्वारा किये जाने वाले व्यापार से होने वाले धन लाभ का बंटवारा भी चार ही प्रकार से किया जाना तय होगा । लघु उद्योग क्रान्ति लगाते समय जिन लोगों से मज़दूरी का काम लिया जा रहा है उनको उनकी मज़दूरी प्रति घंटा या प्रति नग के हिसाब से नक्की करनी चाहिए । साथ ही जिन्होंने धन, पैसा लगाया है उन्हें उनके धन का ब्याज मिले यह व्यवस्था करनी चाहिए । साथ ही संस्था का जो व्यक्ति यह सब देखभाल कर रहा है उसे उसका पारिश्रमिक मिलना चाहिए । इसके पश्चात् जो धन बचेगा उसमें व्यवस्था में होने वाले खर्चों को निकालकर सभी में बाँट देना चाहिए जैसे
- मजदूर भाई-बहनें
- धन लगाने वाले व्यापारी
- संस्था (उस मौहल्ले की तथा नगर की अन्य समितियाँ) जिससे सभी में समानता की भावना उत्पन्न होगी ।